दिल मे कुछ भाव उमड़े और जब कौतूहल बढ़ा तो ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । ये सिलसिला अभी तक तो बद्दस्तूर जारी है। जब भी कुछ नया या पुराना कोई किस्सा दिल मे हलचल पैदा कर बैचेनी बढाने लगता है तो उसे लिखकर कुछ शुकुन हासिल होता है। मगर कभी खुद ही यादों की राख़ टटोलकर चिंगारी खोंजने की नाकाम कोशिश करता हूँ। बस यही फलसफा है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शादी-विवाह और मैरिज ।
आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...
-
हैलो माँ ... में रवि बोल रहा हूँ.... , कैसी हो माँ.... ? मैं.... मैं … ठीक हूँ बेटे..... , ये बताओ तुम और बहू दोनों कैसे हो ? हम दोनो...
-
घटना आज से करीब एक साल पहले की है .में अपने ऑफिस के किसी काम से पूना से बंगलोर आ रहा था. एअरपोर्ट के वेटिंग हाल में अन्य यात्रियों के साथ मै...
-
जब किसी स्कूल के प्रांगण में छोटे बच्चो को मस्ती करते देखता हूँ तो मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ जाते हैं। उन दिनो हम स्कूल के अंदर नहीं ग...
तनहाई में अक्सर यादों के पन्ने पलटने का मन करता है । छोटीसी रचना में बड़ी बात कह डाली ।
ReplyDeleteWaah...Bahut Umda....
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन...
ReplyDeleteवाह ! शानदार !!
ReplyDeleteयादों की स्याही कुछ उके देती है अतीत से और बुनने लगती है नई कहानी फिर से ...
ReplyDeleteभावमय ...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete