बहुत आसान उपाय है. अपनी इन्टरनेट डिवाइस जैसे डाटा कार्ड , फ़ोन जो भी है उसे अपने साथ किसी एकांत स्थान में ले जाएँ . इस बात का ध्यान रखे की उस स्थान से कितना भी जोर से बोलने पर दूर दूर तक आपकी आवाज सुनने वाला कोई ना हो . उसके बाद डिवाइस को अपने सामने रखें और जमीन पर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएँ , कमर सीधी हो ,पूरा ध्यान सामने रखी डिवाइस पे केन्द्रित करें , एक लम्बी साँस खींचे और अपने ISP (इन्टरनेट सर्विस प्रवाइडर) को याद करते हुए जोर जोर से भद्दी से भद्दी गालियाँ निकाले.
ये क्रिया कम से कम १० बार दोहराएँ , अगर आपको असीम सुख की अनुभूति ना हुई हो तो उसे निरंतर जारी रख सकते हैं, लेकिन हर बार एक नई और ताज़ा गाली निकालें. अगर आपको इस क्रिया के दौरान थकान महसूस हो रही हो तो , अपने अन्दर नई उर्जा का स्त्रोत पैदा करने के लिय उन लम्हों को याद करें जब एक 50 एम.बी की फाइल 99% डाउनलोड होने के बाद इन्टरनेट डिसकंनेक्ट हो गया और आपको फिर से अधोभारण (डाउनलोड) करने के लिए पूरा दिन बर्बाद करना पड़ा . और फाईनली जब पूरा डाउनलोड हो गया तो पता चला फाइल डाउनलोड के दरमियाँ फाइल क्रेश हो गई .
इस पूरी क्रिया के सम्पूर्ण होते होते आपके अन्दर एक नया जोश और चेहरे में किला फतह करने जैसी मुस्कान नाच रही होगी. उसके बाद पुरे टसन के साथ घर वापिस आयें . सबसे पहले नहालें , अगर पानी की किल्लत हो तो (ड्राई कलीन) हाथ मुंह तो कम से कम जरुर धोलें, और इस अंदाज में धोये जैसे किसी नेता के अंतिम संस्कार से लौटे हों .
उसके बाद अपनी डिवाइस की तरफ विजयी और कुटील मुस्कान में मुस्कराएँ और उसको ऐसे कंनेक्ट करें जैसे आप उसके स्वामी हों और वो आपकी दासी .
आप फ़र्क महसूस करें तो धन्यवाद की उम्मीद के साथ इन्तजार करूँगा .
'विक्रम शेखावत '
आपने जो इन्टरनेट सर्विस प्रवाइडर की धुलाई की है वो तो निरमा साबुन से भी नहीं होती है अछा व्याग लिखा है पढ़ कर सुख की अनुभूति हो रही है सा !
ReplyDeleteकाफी बेहतर महसूस हो रहा है अब...
ReplyDelete:) :)
ReplyDeleteमज़ेदार
ReplyDeleteवाह ! क्या शानदार व्यंग्य ठोका है :)
ReplyDeleteबहुत मजेदार. गाली वैसे भी अवसाद दूर करने का सबसे सरल माध्यम है, जिसका मनचाहा प्रयोग कभी भी कहीं भी किया जा सकता है.
ReplyDeleteram ram bhai
ReplyDeleteशुक्रवार, 27 जुलाई 2012
कविता :पूडल ही पूडल
बहुत सही..
ReplyDeleteमर्ज बढता ही गया ज्यों ज्यों दवा की, आपके चक्कर में ३६० नई नई गालियां ईजाद कर डाली.:)
ReplyDeleteरामराम.
:) तो आपके पास पुराना स्टोक है उसको रिफ्रेश करलो :)
Deleteअद्भुत ....!
ReplyDeleteइतना आसान था यह ...???
मैं तो इतने दिनों से यूँ ही परेशान थी स्लो चलने की वजह से .....:))
मुझे पहले पता होता तो मन ही मन निकलने के बदले चीख-चीख कर निकलती .....:))
हरकीरत जी , चीखने से क्षणिक संतुष्टि होगी इसलिए लयबद्ध तरीके से गलियां दें :)
Deleteवाह ! बहुत ही बढ़िया..आनंद आया ..
ReplyDeleteकपडा धोने का धोका ।
ReplyDeleteHahaha
ReplyDeleteआपकी इस रचना को व्यंग कहे या हास्य यह समझ में नहीं आ रहा है लेकिन है अच्छी !!
ReplyDeletechalo is bahane kuchh nai galiyon ka to paryog kiya jo kabhi nahi boli thi
ReplyDeleteआप भी अपनी भावनाओ को रोक नही पाते ===== परन्तु रोज रोज की आदत नही बनाये जी
ReplyDeleteवाह शानदार तरीका बताया है आपने आज तो फिर खैर नही बीएसएनएल और एयरसेल वालो की हाहाहा
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