Saturday 13 September 2014

वसीयत

उम्र के उन खास 
लम्हों की वसीयत, 
मैंने अतीत की तहों मे
समेटकर रखी है, 
गाहे बगाहे, 
यादों की चिमटी से 
परतों को उठाकर, 
देख लेता हूँ  की कहीं, 
उसमें कोई
इजाफ़ा तो नहीं हो रहा ..... 
मुझे इजाफ़ा नहीं, 
ख़ालिस वसीयत चाहिए
उम्र के 
उन खास लम्हों की
ख़ालिस वसीयत
ख़ालिस  !

-"विक्रम"

शादी-विवाह और मैरिज ।

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