Saturday 24 May 2014

मौसम

मौसम की करवटों
के दरमियाँ, तेरी यादों
से विह्वल लम्हे  ,
आँखें मलते हुये
जाग उठते हैं
चिर-निद्रा से।
 
चुपके से मैं,
कुछ भूले हुये से लम्हों
को ,वक़्त की
हथेली पर रखकर,
याद करने लगता हूँ
उन लम्हों के जन्म
के वो पल ,
जो अब असपष्ट से हैं
मेरे मानस पटल पर ।
 
कुछ खास लम्हे ,
मुझे देखते ही मुस्कराने
लगते हैं , मै बेबस सा
उनकी मासूम सी
मुस्कराहटों के जवाब में
मैं, बस मुस्करा देता हूँ
दबाकर आंदोलन
आँसूओं का   
“विक्रम”
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 

Sunday 11 May 2014

दस्तक !!

वो तुम्हारी पहली
दस्तक !!
मुद्दतों बाद आज भी,
जगा देती है
सुसप्त तन्हाइयों को ...
जिंदगी का एक
वो हिस्सा जो
तेरे पहलू मे गुजरा ,
बहुत भारी रहा
बाकी जिंदगी पे ।
नीरस  रहा दौर
बाकी जिंदगी का ,
तेरे साथ गुजारे उन  
चंद लम्हों को छोड़कर....
तुमसे मिलना,  
एक पड़ाव था,
ज़िंदगी का
बाद उसके सफर ,
बहुत  तन्हा ही गुजरा....
वैसे भी , है क्या जिंदगी में,
उन चंद मुलाक़ातों के सिवा.....
 

“विक्रम”

शादी-विवाह और मैरिज ।

आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...