Sunday 11 May 2014

दस्तक !!

वो तुम्हारी पहली
दस्तक !!
मुद्दतों बाद आज भी,
जगा देती है
सुसप्त तन्हाइयों को ...
जिंदगी का एक
वो हिस्सा जो
तेरे पहलू मे गुजरा ,
बहुत भारी रहा
बाकी जिंदगी पे ।
नीरस  रहा दौर
बाकी जिंदगी का ,
तेरे साथ गुजारे उन  
चंद लम्हों को छोड़कर....
तुमसे मिलना,  
एक पड़ाव था,
ज़िंदगी का
बाद उसके सफर ,
बहुत  तन्हा ही गुजरा....
वैसे भी , है क्या जिंदगी में,
उन चंद मुलाक़ातों के सिवा.....
 

“विक्रम”

5 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!
    मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    RECENT POST आम बस तुम आम हो

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  2. ये चंद मुलाकातें ही जीवन बिताने को बहुत हैं ... बस प्यार का एहसास जरूरी है ...

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  3. jee mai sirf protsaahan ke liye nahi comment likh raha , really its touched my heart!

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