Tuesday 6 March 2012

अनुशासन


घटना आज से करीब एक साल पहले की है .में अपने ऑफिस के किसी काम से पूना से बंगलोर आ रहा था. एअरपोर्ट के वेटिंग हाल में अन्य यात्रियों के साथ मैं भी सिक्योरिटी चेक का इन्तजार कर रहा था . मेरे सामने एक विदेशी जोड़ा अपने पांच छ: साल के बच्चे के साथ खेल कर टाइम पास कर  रहा था  . कुछ समय बाद बच्चे के पिता ने पास के काउंटर से एक चॉकलेट खरीदा और  उसका Wraper (कवर) उतार कर बच्चे की तरफ बढ़ाया . खेलते हुए बच्चे ने अपने पापा के दोनों हाथो को बारी बारी से देखा .एक में चॉकलेट और दुसरे में उसका खली कवर था. बच्चे ने तुरंत चॉकलेट से उतारा गया कवर लिया और उसको पास के डस्टबिन में डाल दिया और फिर वापिस आकर दुसरे हाथ में पकड़ी चोकलेट को लेकर खाने लगा .

कहने को एक छोटी सी घटना है मगर अपने आप में बहुत बड़ी है . उस पाँच साल के बच्चे में कितना अनुशासन है वो अपने आप में बहुत बड़ी बात है .हम चाहे विदेशी लोगों के रहन सहन में कितने ही मीन मेख निकालें मगर अनुशासन में वो हमसे काफी आगे हैं. आज आप किसी ट्रेन ,बस रेलवे स्टेशन याबस स्टैंड में जाकर देखें. मूंगफली के छिलके ,बीडी सिगरेट के टुकड़ों का अम्बार मिलेगा , उत्तर प्रदेश या बिहार में देखिये , सार्वजानिक  स्थानों में पान थूककर बेहूदगी की हदें पार की जाती हैं . सिंगापोर जैसी जगह में सड़क पे थूकने से आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती  है . मगर यहाँ आपको पूरी आजादी है कहीं भी थूकने की  और थूकने के बाद आप  बड़े रौब से ये जुमला  उछाल सकते हैं की "इस देश की जनता और सरकार ने  देश का क्या हाल  कर रखा है ,  कितनी गंदगी है इसको   साफ़ भी नहीं किया जाता ".      .........  मेरा भारत महान ?
-विक्रम

28 comments:

  1. Educative and motivating post.
    Happy holi and Mahila divas both

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  2. SARTHAK POST LIKHI HAI AAPNE .ANUSHASHAN ME VIDESHI HAMSE BAHUT AAGE HAIN .HOLI PARV KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN !

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  3. यदि हम अनुशाशन से रहेगें और बच्चों को सिखायेगें ,तो बच्चों में अनुशाशन अपने आप आजायेगा,.
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,अच्छी अभिव्यक्ति....
    राजपूत जी,..सपरिवार होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
    आपका फालोवर बन गया हूँ,...

    RECENT POST...काव्यान्जलि
    ...रंग रंगीली होली आई,

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  4. .

    विक्रम जी,
    आपका कहना बिल्कुल सही है …
    हम अनुशासन अभी तक सीख नहीं पाए

    अच्छी पोस्ट है आभार!

    होली की भी शुभकामनाएं **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥
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    ♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
    ♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  5. विक्रम जी आपने बहुत अच्छे विषय पर लिखा है आजकल हमारे देश में इसी नसीहत की जरूरत भी है आप सही कह रहे हैं की दुसरे देशों की सफाई और अनुशासन देख कर हमे अपने ऊपर शर्म आती है यह मैं खुद भी दुसरे देशों में देख चुकी हूँ हमे शुरू से ही बच्चों में अच्छे संस्कार देने चाहिए आपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा |

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  6. sach hamen vedishon se yahi to nahi seekh paate hain... we log jis tarah se yahan aakar hamare culture mein bina kisi bhedbhav, unch-neech ke ghul mil jaate hai aur safai se rahte hai isse main bhi kayee baar prabhavit hoti hun... kash ham unse is tarah kee achhi baaton ko seekhkar uska palan kar apate to kitna achha hota ...shayad ab vqkt aa gaya hai jab ham naaron aur bhashanbaji se door sundar bharat banane ke liye syawam apne apne star se pryas kare..
    badiya prastuti ke liye aabhar!
    Holi ki hardik shubhkamnayen!

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  7. bilkul theek kaha aapne .......galati hamari hai hm log kahate to bahut kuchh hain lekin hm apne bachhon ko achhe sanskar de hi nahi pate hain .....sikshaprad post ke hardik badhai rajpoot ji.

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  8. अनुशासन संस्कार बनता है ..एक कड़ी है ..जिसके जुड़ने से ज़िन्दगी में एक लयबद्ध तरीके से काम करने की प्रेरणा मिलती है..
    kalamdaan.blogspot.in

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  9. बिलकुल सही बात कही आपने.........
    और तो और ये जुमला भी ठोक देते हैं कि "पहले ही कौन सा साफ़ है".....

    जब तक आर्थिक दंड ना दिया जाये तब तक सुधार नहीं आएगा "हम हिंदुस्तानियों में"...

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  10. "क्या शीर्षक दूं"

    क्योंकि
    १.दूसरों की भावनाओं को आहत करने में हमें आनंद मिलता है |
    २."end justifies the means" को हम ही चरितार्थ करते हैं |
    ३.हमें सड़क पार करना नहीं आता ,जेब्रा लाइन का मतलब नहीं समझते |
    ४.रेलवे क्रासिंग बंद होने पर ,दोनों और कौरव -पांडव की सेना की तरह आमने सामने जम जाते हैं ,और 'किसमे कितना है दम' की तर्ज़ पर एक दूसरे को आजमा भी लेते हैं |
    ५.हम पान खा कर कहीं भी ऐसे थूक सकते हैं, कि उस चित्रकारी को देख एम.ऍफ़ .हुसैन साहब भी लोहा मान जाय|
    ६.बच्चे तो बस यूँ ही पैदा कर लेते हैं ,उनकी परवरिश या भविष्य की योजना से कोई लेना देना नहीं |"मुह तो एक है ,हाथ तो दो हैं" बस इसी के भरोसे वह जी लेगा ,यही मूल मन्त्र है |
    ७.अपने महापुरुषों ,अराध्य देवों की सहजता से ही निंदा कर डालते हैं |
    ८.बस या ट्रेन में चढ़ते समय पूरी कोशिश यह होती है कि उतरने वाला उतर ना पाए, जैसे बिना उसके यात्रा करने में कोई आनंद नहीं मिलेगा |
    ९.बैंक में या टिकट लेते समय या किसी भी काउंटर की लाइन में पीछे वाले का पूरा प्रयास यह होता है कि
    वह आगे वाले की जेब में सशरीर प्रवेश पा जाय |
    १०.पांच लाख की कार खरीदते समय उसकी टेक्निकल जानकारी से ज्यादा ,इस पर जोर देते हैं कि पांच सौ का सीट कवर मुफ्त मिल रहा है कि नहीं |
    ११.सफ़र में बगल में बैठे सज्जन का अखबार ,तिरछी निगाहों से उनसे पहले ही पढ़ डालते हैं |
    १२.हमारे राजनेताओं में देश भक्ति कूट कूट कर व्याप्त है ,परन्तु उनके वंश अथवा परिवार से कोई भी बच्चा कभी देश की सेना में भर्ती नहीं होता है |
    १३.किसी भी बहस -मुबाहिस में मुद्दा गायब हो जाता है ,उससे इतर एक दूसरे की निरर्थक कमियों पर भाषण छिड़ जाता है ,चाहे वह टेलिविज़न पर हो ,रेडियो पर हो या किसी मंच पर आमने सामने हो |
    १४.औरतों की वकालत करने वाली औरतें ही समाज में अभी भी 'सास बहू ' के सम्बन्ध को 'माँ बेटी' की शक्ल में तब्दील नहीं होने देतीं |
    १५.वोट देते समय 'जाति' को ही महत्त्व देते हैं ,'जातक' को नही |
    १६.ब्लाग पर टिप्पणी देने की औपचारिकता ऐसे निभाते हैं,जैसे कि शादी-विवाह में न्योता दिया जाता है कि, भाई उनके यहाँ से लिफाफा आया था सो उन्हें लौटाना ज़रूरी है ,या लिफाफा देते रहो तभी तुम्हे लिफाफा मिलेगा | गुण दोष से कोई लेना देना नहीं |

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    1. अमित जी , "क्या शीर्षक दूं" में कही एक एक बात सही है ,और कहते हैं न सची बात कडवी लगती है . मगर कडवी बात कहकर ही बुरी बात को खतम किया जा सकता है . धन्यवाद

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  11. जी हाँ ....यही बात मुझे भी बहुत पसंद है वहां के लोगों की......

    एक अच्छे और सरल विषय पर सार्थक बात की आपने .....

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  12. बहुत सुन्दर शिक्षा देती है बच्चे की एक्टिविटी...
    सादर आभार.

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  13. sach bahut kuch sikha gayi ye ghatna ...!! anushasan hi jivan ka soundraya hai !!

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  14. सचमुच हम अपने लिए तो सफाई चाहते हैं पर सार्वजनिक तौर पर कितने गंदे हैं । बहुत अच्छे विचार हैं आपके।

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  15. जी हमारा भारत महान जो है .....:))

    शुक्रिया प्रेम को ढूँढने के लिए ....:))

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  16. बच्चे अपने बड़ों को देख देख कर सब कुछ सीखते है ...
    क्या हमारे आस -पास ऐसे अनुशासित बड़े लोग है
    जिनको देखकर कुछ सिखा जा सके ?

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  17. सुमन जी , अपने सही कहा बड़े ही अनुशासित नहीं है तो बच्चे तो आखिर उन्ही से सीखेंगे .

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  18. सफ़ाई रखना और प्रसन्न रहना ये आदत की बातें हैं. हमारे यहाँ इन दोनों की कुछ कमी है. प्रेरणा देता बढ़िया आलेख.

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  19. हां, कहना ही पड़ेगा.....मेरा भारत महान ।

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  20. kyuki unhe bachpan se sikhaya jate hai manners and to respect not our own property but nations too..

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  21. बहुत सच कहा है...हम भारतीय भी जब किसी और देश में रहते हैं तो वह व्यवहार नहीं करते, जो हम अपने भारत में रहने पर करते हैं. यह खुद मैंने विदेशों में देखा है. फ़िर क्यों हम यह सब भारत में रहने पर भूल जाते हैं. शायद आप सही हैं कि हमें बचपन से इसके संस्कार नहीं दिए जाते. बहुत सार्थक आलेख...

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  22. सही कहा आपने,,,मैं सदा से कहता रहा हूँ,,पश्चिम के पहनावे और पीने पिलाने का अनुसरण नहीं,,उनकी कार्य के प्रति लगन और देश के प्रति जूनून अपनाओ..

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  23. बिलकुल सही लिखा आपने। भारत की विरासतों को देखने दुनिया यहाँ आती है ।परन्तु दुर्भाग्य ही है की अपने देश के लोग उन पर अपने नाम,भद्दे शब्द लिखकर देश की छवि को धूमिल करते है |

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