सुखहर्ता-दुखकर्ता |
हे जनता ! क्या कष्ट है तुम्हे ? क्यों नाहक एक अनर्थ-शास्त्री को बुरा भला कहती हो ?वो तो अन्तर्यामी है ,पालनहार है ,तुम्हे महंगाई के भवसागर से उबारने में अपनी अनर्थ-शास्त्रीयत के ऐसे ही जलवे दिखाता रहेगा वो सुखहर्ता-दुखकर्ता है उसकी 'महिमा' अपरम्पार है , सबकुछ जानता है, और उसे ये भी पता है की, उसके भक्त पेट्रोल में सात आठ रूपये की तुच्छ भेंट सहर्ष स्वीकार कर उसे तृप्त करेंगे वो आपके कष्टों को चरम सीमा तक पहुंचाकर आपको इस योग्य बनाने में जुटा है की आप सुनामी जैसे झटके भी हँसते रोते सहन कर सको, और फिर दुनिया की कोई ताकत आपको नेस्तनाबूत नहीं कर पायगी और आप जीवन भर ऐसे ही हिचकोलों को प्रशाद स्वरूप लेते रहोगे कांग्रेस को क्यों कोसते हो ? क्या नहीं दिया इस बेचारी अबला सरकार ने आपको ?
अब और क्या चाहिए ? कहाँ ऐसी सराकर मिलेगी जो आपको अन्दर से इतनी मजबूती दे ? वैसे ऐसा नहीं की आपको ही फौलाद सी मजबूती प्रदान की है , खुद को भी बड़े बड़े घोटालों से नवाजा है. भई जब नेता ही मजबूत नहीं होंगे तो भला आपको कैसे सहारा देंगे , तभी तो आज इस महंगाई के दौर में गिरे से गिरा नेता भी २०० , ३०० करोड़ बना कर बैठा है . आज सरकार में माने हुए 'अनर्थशास्त्री' आपको और आपकी अर्थव्यवस्था को लगातार 'मजबूती' प्रदान कर रहे हैं. आपकी छोटी से छोटी कराहट उनके कानों तक पहुँच जाती है और सरकार आपको महंगाई की थपकी देकर सुला देती है जिस से आपको चुटकी बजाते ही तुम्हे परमसुख की अनुभूति होती है
अरे वैट, सर्विस टैक्स जैसे २ अनमोल रत्न दिए , पेट्रोल के रेट को आसमान की बुलंदियों पे पहुंचाकर आपकी सहन शक्ति में बेतहाशा इजाफा कर आपके हार्ट को मजबूत किया. भ्रष्टाचार जैसा ससुर और महंगाई जैसी अर्धांगिनी दी जिसकी बदौलत मिलावट जैसी सुन्दर संतान आपकी झोली में डाल दी
अब और क्या चाहिए ? कहाँ ऐसी सराकर मिलेगी जो आपको अन्दर से इतनी मजबूती दे ? वैसे ऐसा नहीं की आपको ही फौलाद सी मजबूती प्रदान की है , खुद को भी बड़े बड़े घोटालों से नवाजा है. भई जब नेता ही मजबूत नहीं होंगे तो भला आपको कैसे सहारा देंगे , तभी तो आज इस महंगाई के दौर में गिरे से गिरा नेता भी २०० , ३०० करोड़ बना कर बैठा है . आज सरकार में माने हुए 'अनर्थशास्त्री' आपको और आपकी अर्थव्यवस्था को लगातार 'मजबूती' प्रदान कर रहे हैं. आपकी छोटी से छोटी कराहट उनके कानों तक पहुँच जाती है और सरकार आपको महंगाई की थपकी देकर सुला देती है जिस से आपको चुटकी बजाते ही तुम्हे परमसुख की अनुभूति होती है
इस से आप छोटी मोटी तकलीफ को हँसते हँसते झेल लेते हो | अभी पेट्रोल के हलके हलके झटके देकर आपको रसोई गैस के जलजले से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है |आपकी सरकार जानती है की बकरे को खिला पिला के हलाल करने का मजा ही कुछ और है | इसलिए हे प्राणी ! निकट भविष्य में ऐसे छोटे मोटे झटकों की पुनरावृति कदाचित जारी रहेगी | तूं सयम रख , होश मत गवां | अपने दुखों की चिंता मत कर ,और तन मन धन से उस मन-मोहन घनश्याम के सम्मोहन में अपने आपको को समर्पित कर परमसुख की अनुभूति कर |
जय हो !
"विक्रम"
bahut sundar vyangyapurn prastuti....
ReplyDeleteVery nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
तीखा व्यंग. काश अनर्थशास्त्री को समझ आए. आर्थिक नीतियों को पता नहीं ये किस दिशा में ले जा रहे हैं.
ReplyDeleteजय हो...
ReplyDeleteइस काग भगोड़े की अनर्थ शक्ति का आकलन करना मुश्किल है क्योंकि इसका एक एक काबिना मंत्री ही २२ गीगा वाट आवर ऊर्जा मंत्रित है .ऐसा राष्ट्रीय रोबोट आगे ढूंढों नहीं मिलेगा .इसकी जीवन इकाइयां संभाल के रखो जो रोज़ बा रोज़ आर्थिक वृद्धि का कागज़ी हलुवा खिलाता है .
ReplyDeleteमन मोहन का ध्यान कर ,
सुख दुःख एक समान कर ,
मत इतना अभिमान कर ,
अन्ना को सलाम कर .
बहुत धारदार व्यंग्य।
ReplyDeleteदुनिया के पहले अनर्थशास्त्री हकीम मनमोहन !
सुंदर करारा व्यंग,,,,,,अनर्थशास्त्री के समझ आजाये तब न......,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
@ अभी पेट्रोल के हलके हलके झटके देकर आपको रसोई गैस के जलजले से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है
ReplyDeleteअब तो पेट्रोल का बड़ा झटका भी दे दिया ......:))
क्या व्यंग्य बाण छोड़ा है आपने, जबरदस्त !!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कटाक्ष. इसका भी यही हाल उसका भी यही हाल, तीसरा विकल्प है ही नहीं.
ReplyDeletesसटीक कटा़क्ष!
ReplyDeleteसार्थक व प्रभावी व्यंग..
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य ...
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