आज ठाकुर साहब की हवेली पे लोगों की बहुत भीड़ थी रिश्तेदारों के साथ साथ गांववाले भी बड़े खुश नजर आ रहे थे हवेली के पिछवाड़े से मिठाइयों की खुशबु तथा मसालों की तीखी महक दूर दूर तक जा कर लोगों को खिंच खिंच कर हवेली ला रही थी सामने के हिस्से में बड़ा सा सामयाना लगा कर उसमे दरियाँ बिछा दी थी कुछ युवा मेहमानों के खाने पीने का जिम्मा संभाल रहे थे , तथा कुछ हलवाइयों के इर्द गिर्द रहकर उनको सामग्री मुहया करवा रहे थे ताकि खाने पीने के सामान की कमी ना हो , आखिर इज्जत का सवाल था कहीं कुछ भी कम हुआ तो परिवार वाले जिंदगीभर ताना देंगे की हमें खाने में वो नहीं मिला , या फिर देर से मिला , ताज़ा नहीं था आदि आदि|
शाम होते होते कुछ बड़े बुजर्ग हवेली के सामने वाले चबूतरे पर दस दस पन्द्रह पन्द्रह के ग्रुप में बैठ गए ,जिनमे जयादातर ठाकुर साहब के परिवार से उनके चाचा ताऊ और चाचा ताऊ के लड़के लोग थे और बाकि मेहमान कुछ देर बाद बकरे के मीट से भरी प्लेटें तथा शराब की बोतलें उनके बीच रख दी गई तथा इसके साथ ही बारह दिन से चले आ रहे इस तामझाम का समापन समारोह शुरू हो गया
ठाकुर साहब ने सायद पहले कभी इतने आदमी अपनी हवेली में नहीं देखे थे जितने आज वो अपनी बारहवीं में देख रहे होंगे , जी हाँ ! आज ठाकुर साहब की बारहवीं है इसीलिए दिल खोलकर ठाकुर साहब का बचा खुचा पैसा "खर्च" किया जा रहा था आज सब उनके जाने के शोक को कम करने के लिए शराब पी रहे हैं आज से १२ दिन पहले वो लम्बी बीमारी के बाद चल बसे , डॉक्टरों के अनुसार अत्यधिक शराब से उनका लीवर ख़राब हो चूका था
इसलिए जिस शराब को पी कर ठाकुर साहब चले गए अब उसी शराब को पीकर उनकी यादों को भी रुखसत किया जा रहा है
विक्रम
ठाकुर साहब ने सायद पहले कभी इतने आदमी अपनी हवेली में नहीं देखे थे जितने आज वो अपनी बारहवीं में देख रहे होंगे , जी हाँ ! आज ठाकुर साहब की बारहवीं है इसीलिए दिल खोलकर ठाकुर साहब का बचा खुचा पैसा "खर्च" किया जा रहा था आज सब उनके जाने के शोक को कम करने के लिए शराब पी रहे हैं आज से १२ दिन पहले वो लम्बी बीमारी के बाद चल बसे , डॉक्टरों के अनुसार अत्यधिक शराब से उनका लीवर ख़राब हो चूका था
इसलिए जिस शराब को पी कर ठाकुर साहब चले गए अब उसी शराब को पीकर उनकी यादों को भी रुखसत किया जा रहा है
विक्रम
बहुत रोचक और प्रेरक लघु कथा...आपका लेखन बहुत उच्च स्तरीय है...पढ़ कर आनंद आया...लिखते रहें
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुंदर है यह लघु कथा !
ReplyDeleteबहुत अच्छा व्यंग्य लिखा आपने|
ReplyDeleteपता नहीं इस बारहवीं पर खर्च वाली बुराई से समाज कब निजात पायेगा|
Gyan Darpan
Rajput Matrimonial Site
रतन सिंह जी , आजकल लोग जागने लगे हैं | हरियाणा और राजस्थान में सीमावर्ती गावों में आज कल खर्च (म्र्त्यभोज) बंद कर दिया है |अगर कोई करेगा तो दस हजार जुर्माना और कोई जीम्णे जाएगा तो उसको एक हज़ार |
ReplyDeleteVery nice!
ReplyDeletekya apne likha hai hai ki barhavi me sarab and bakre ka meet ye sahi me apke vaha churu me hota hai
ReplyDeleteहमारे इधर तो नहीं लेकिन चुरू जिले के बहुत से गावों मे है। हमारे इधर प्रतिबंध है
Deleteबहुत ही अच्छी भावाभिव्यक्ति .काश बाकी सब सुधर जाते तो.....
ReplyDeleteबहुत हे अच्छी भावाभिव्यक्ति . काश बाकी सब संभल जाते...................
ReplyDelete