Sunday 8 October 2017

अतीत

वक़्त के घोड़े पे सवार,
अतीत को पहलू में दबा , 
भागता रहा वो ताउम्र, 
मगर....
यादों के नुकीले तीर,
भेदते रहे,उसके
जिस्म-ओ-जान को,
और नोचते रहे ,
ज़हन से चिपके
अतीत के उस
हर एक लम्हे को….
-ak
 
 
 
 

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