दिल मे कुछ भाव उमड़े और जब कौतूहल बढ़ा तो ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । ये सिलसिला अभी तक तो बद्दस्तूर जारी है। जब भी कुछ नया या पुराना कोई किस्सा दिल मे हलचल पैदा कर बैचेनी बढाने लगता है तो उसे लिखकर कुछ शुकुन हासिल होता है। मगर कभी खुद ही यादों की राख़ टटोलकर चिंगारी खोंजने की नाकाम कोशिश करता हूँ। बस यही फलसफा है ।
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शादी-विवाह और मैरिज ।
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हैलो माँ ... में रवि बोल रहा हूँ.... , कैसी हो माँ.... ? मैं.... मैं … ठीक हूँ बेटे..... , ये बताओ तुम और बहू दोनों कैसे हो ? हम दोनो...
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बहुत आसान उपाय है. अपनी इन्टरनेट डिवाइस जैसे डाटा कार्ड , फ़ोन जो भी है उसे अपने साथ किसी एकांत स्थान में ले जाएँ . इस बात का ध्यान र...