वोट मांगते
खींसे निपोरकरनिर्लज नेता
हवाई किले
पंचवर्षीय नीतिखट्टे अंगूर
भूखी जनता
सरकारी अमलाऐशों-आराम
सुरसा मुँह
गरीबी उन्मूलनअसाध्य रोग
“विक्रम”
दिल मे कुछ भाव उमड़े और जब कौतूहल बढ़ा तो ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । ये सिलसिला अभी तक तो बद्दस्तूर जारी है। जब भी कुछ नया या पुराना कोई किस्सा दिल मे हलचल पैदा कर बैचेनी बढाने लगता है तो उसे लिखकर कुछ शुकुन हासिल होता है। मगर कभी खुद ही यादों की राख़ टटोलकर चिंगारी खोंजने की नाकाम कोशिश करता हूँ। बस यही फलसफा है ।
आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...
व्यवस्था पर प्रहार करते लाजवाब हाइकू ...
ReplyDeleteआपका पहला प्रयास ज़बरदस्त है ...
किसी को पुकारा और हम चले आये
ReplyDelete:) Thanks
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