दिल मे कुछ भाव उमड़े और जब कौतूहल बढ़ा तो ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । ये सिलसिला अभी तक तो बद्दस्तूर जारी है। जब भी कुछ नया या पुराना कोई किस्सा दिल मे हलचल पैदा कर बैचेनी बढाने लगता है तो उसे लिखकर कुछ शुकुन हासिल होता है। मगर कभी खुद ही यादों की राख़ टटोलकर चिंगारी खोंजने की नाकाम कोशिश करता हूँ। बस यही फलसफा है ।
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शादी-विवाह और मैरिज ।
आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...
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घटना आज से करीब एक साल पहले की है .में अपने ऑफिस के किसी काम से पूना से बंगलोर आ रहा था. एअरपोर्ट के वेटिंग हाल में अन्य यात्रियों के साथ मै...
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अस्पताल के बरामदे मे अपनी बारी के इंतजार मे खड़ा बुधिया बड़ी उत्सुकता से छोटी होती लाइन को देख रहा था। वह बार बार बैठकर अपनी थकान ...
जख्मों को नापने का प्रयास दुःख के सागर बढ़ा देता है ...
ReplyDeleteइनकी गहराई तो भर मंदी ही ठीक है ...
kya khoob keha
ReplyDeleteBahut sunfar
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