दिल मे कुछ भाव उमड़े और जब कौतूहल बढ़ा तो ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । ये सिलसिला अभी तक तो बद्दस्तूर जारी है। जब भी कुछ नया या पुराना कोई किस्सा दिल मे हलचल पैदा कर बैचेनी बढाने लगता है तो उसे लिखकर कुछ शुकुन हासिल होता है। मगर कभी खुद ही यादों की राख़ टटोलकर चिंगारी खोंजने की नाकाम कोशिश करता हूँ। बस यही फलसफा है ।
Friday, 22 July 2016
Tuesday, 19 July 2016
हाइकु
वोट मांगते
खींसे निपोरकरनिर्लज नेता
हवाई किले
पंचवर्षीय नीतिखट्टे अंगूर
भूखी जनता
सरकारी अमलाऐशों-आराम
सुरसा मुँह
गरीबी उन्मूलनअसाध्य रोग
“विक्रम”
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शादी-विवाह और मैरिज ।
आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...
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घटना आज से करीब एक साल पहले की है .में अपने ऑफिस के किसी काम से पूना से बंगलोर आ रहा था. एअरपोर्ट के वेटिंग हाल में अन्य यात्रियों के साथ मै...
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हैलो माँ ... में रवि बोल रहा हूँ.... , कैसी हो माँ.... ? मैं.... मैं … ठीक हूँ बेटे..... , ये बताओ तुम और बहू दोनों कैसे हो ? हम दोनो...
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बहुत आसान उपाय है. अपनी इन्टरनेट डिवाइस जैसे डाटा कार्ड , फ़ोन जो भी है उसे अपने साथ किसी एकांत स्थान में ले जाएँ . इस बात का ध्यान र...