Sunday 5 June 2011

उड़ने वाला घोड़ा

एक बार एक चोर को राजा के पास लाया गया | उस राज्य का कानून था की चोरी करने वाले को
मोत की सजा दी जाती थी | राजा ने भी उसी कानून के तहत उसे सजा सुनाई , और चोर को अपने
बचाव में कुछ कहने के लिए इजाजत दी |

चोर ने कहा : महाराज मुझे आपकी सजा मंजूर है मगर मेरे मरने के साथ एक कला भी मर जाएगी
जो सिर्फ में जानता हूँ |

राजा ने पूछा : तुम कोनसी कला जानते हो ?

चोर ने कहा : महाराज में किसी भी घोड़े को 6 माह में उड़ने वाला घोड़ा बना सकता हूँ |
राजा के सिपहसालारो ने कहा : महाराज ये बहुत चालाक चोर है और फांसी से बचने के लिए बहाना
बना रहा है |

चोर ने कहा : महाराज आप जैसा चाहे करें मगर धयान रहे आप का राज्य एक अनोखी कला
से महरूम रह जायेगा और आप एक उड़ने वाले घोड़े से |

राजा ने कहा : ठीक है तुम्हे 6 माह का समय दिया जाता है और मेरा ये घोड़ा रखो और इसे
उड़ने वाला घोड़ा बनाओ |

उसे घोड़ा दिया और एक बड़ा सा बाड़ा (अस्तबल) दिया जिसमे वो रोज कुछ न कुछ घोड़े
के साथ करता रहता था | एक बार एक कैदी ने उस से पूछा : तुम क्यों लोगों को
बेवकूफ बना रहे हो , भला घोड़ा भी कभी उड़ सकता है ?

चोर ने कहा : में जानता हूँ की में घोड़े को उड़ा नहीं सकता |
फिर तुमने राजा को ऐसा क्यों कहा ? कैदी ने पूछा

चोर बोला : देखो यार में 6 माह तो जिन्दा रह सकता हूँ और इस 6 माह में
कुछ भी हो सकता है जैसे क़ी,
हो सकता है 6 माह में ये घोड़ा ही मर जाये और फिर मुझे फिर से दूसरा घोड़ा और 6 माह का
अतिरिक्त समय (जीवन) मिले |

हो सकता है 6 माह में राजा ही मर जाये और मेरी सजा बदल जाये |
हो सकता है 6 माह में घोड़ा ही उड़ने ही लगे !!!!

अभिप्राय : उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए

"विक्रम"

1 comment:

  1. सुन्दर उम्मीद पर दुनिया टिकी है सा

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