आज भी पहनकर रखा है
उन पुराने रिश्तों
का तार तार
लिबास,तुम्हारे शहर ने ।
गली मे सिकुड़कर बैठा
मैला कुचेला सन्नाटा
अक्सर घूरता है मुझे
सूनी आँखों से ।
खामोशीयों को बगल में दबाये
एक बिखरा साया ,
तनहाईयां ओढ़कर
बहुत करीब से
गुजरता है ।
कुछ पुराने लम्हे
अतीत से हाथ छुड़ाकर
अक्सर चले आते हैं
करने ज़हन मे सरगोशीयां.....
उन पुराने रिश्तों
का तार तार
लिबास,तुम्हारे शहर ने ।
गली मे सिकुड़कर बैठा
मैला कुचेला सन्नाटा
अक्सर घूरता है मुझे
सूनी आँखों से ।
खामोशीयों को बगल में दबाये
एक बिखरा साया ,
तनहाईयां ओढ़कर
बहुत करीब से
गुजरता है ।
कुछ पुराने लम्हे
अतीत से हाथ छुड़ाकर
अक्सर चले आते हैं
करने ज़हन मे सरगोशीयां.....
अतीत के ये लम्हे ही तो धरोहर हैं जिंदगी के ... बहुत काम आते है ये आज की अजनबी दुनिया में ...
ReplyDeleteबहुत ही शानदार
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