Saturday 5 February 2011

मेरा गाँव मेरे लोग (गुगलवा - बास किरतान)




( ०६-०२-२०११ - बैंगलोर )

मुझे अपने गाँव से बहुत प्रेम है.मगर मेने अपने गाँव में बीते कुछ बरसो में बहुत से परिवर्तन देखे हैंI में जब आज से करीब २० साल पहले वाले गाँव की तुलना आज के गाँव से करता हूँ तो बहुत दुःख होता है I इन २० बरसो में बहुत कुछ खो दिया मेरे गाँव ने ये ठीक है की के दोर में बहुत सी सुविधाए है ,नई टेक्नोलोजी का असर देखने को मिल रहा है. आज का युवा उसका पूरा उपयोग कर रह है , भले ही उस असरकुछ भी हो रहा हो आज से २० साल पहले पीने का पानी भी २०० फीट निचे से अपने हाथो से खींच कर पीना पड़ता था. बिजली ,पानी,सड़क जैसी बुनियादी चीजे तो कभी खवाबो में भी नहीं थी, मगर शुक्र है निक्कमी सरकार को जो हमें इन सब सुविधाओं के दर्शन तो करवाए भले ही नाम मात्र के सही .



कहने को ये सब है मेरे गाँव, में मगर सिर्फ नाम के लिए और कागजो में दिखाने को , जैसे लाइट है मगर जलती नहीं ,पानी के वितरण की बहुत बड़ी परियोजना है जो आस पास के १५ से अधिक गाँव को पानी सप्लाई करती है (कभी कभी) ,सड़के है मगर कहाँ से शुरु कहाँ पे ख़तम पता ही नहीं , किसी भी राजमार्ग से नहीं मिलती. सरकारी स्कूल है जहाँ बच्चे सिर्फ समय बिताने को जाते हैं,माता पिता आज कल अपने बच्चो को वहां नहीं भेजकर निजी स्कूलों में भेजते है निजी स्कूलों में मास्टर भी गाँव के सनातक युवा है जिनको कोई रोजगार नहीं मिला वो इस व्यवसाय में आ गए.



इन सब के बावजूद भी गाँव के लोगो के चेहरे पे शिकन तक नहीं आती जब कभी चुनाव हों तब देखो तो हर कोई इतने जी-जान अपने अपने नेता के लिए २४ घंटे प्रचार करता फिरेगा , अपने चहेते नेता के लिए दिन रात एक कर देगा , मगर कभी अपने चहते नेता को बिजली पानी जैसी तुछ चीजों के लिए नहीं कहेगा भूखा प्यासा उसके लिए मारा मारा फिरेगा मगर उफ़ तक नहीं करेगा ऐसा है मेरे गाँव का मतदाता बेचारा



अपने नेता के लिए अपने ही परिवार और अपने ही दोस्तों से टकरा जायेगा मगर नेताजी को चुनाव जीता कर ही दम लेगा जीत के बाद नेता अपने रास्ते चला जाता है और मेरे गाँव का मतदाता फिर अपने रोजाना के कामो में लग जाता है , जैसे पानी की तलाश , पेट भरने के लिए नेता ( सरकार ) द्वारा चलाये जा रहे राहत योजनावों के चक्कर आदि आदि ..चुनाव प्रचार के दोरान जिन अपनों से दुश्मनी की उनके ,सामने शर्मिंदा होकर रहता है ,मगर समय के साथ वो कडवाहट भी चली जाती है और धीरे धीरे लोग, नेता और चुनाव को भूल जाते हैं अगले चुनाव में याद रखने के लिए यही चक्कर चलता रहता है मेरे गाँव के लोगों और नेता लोगो के बीच जो कभी ख़तम नहीं होता



एक और बीमारी से ग्रस्त है मेरे गाँव के कुछ लोग और वो है "जातिवाद",जो मेरे गाँव की संस्कृति और सभ्यता को घुन की तरह खाए जा रही है, कभी साथ बैठने वाले आज अलग अलग समूहों में बैठे पाए जाते हैं ,और उनकी बातों का विषय होता है, "जातिवाद", इसके साथ ही शराब का योगदान भी बहुत रहा है मेरे गाँव को इस मुकाम तक पहुचाने में आज जब कभी गाँव जाता हूँ तो १५ से २५ साल के सभी युवा दिन ढलने के साथ ही अपने आप को शराब के हवाले कर देते हैं .( लगातार....)



"विक्रम"



13 comments:

  1. ""जातिवाद",जो मेरे गाँव की संस्कृति और सभ्यता को घुन की तरह खाए जा रही है"

    ज्वलंत प्रश्न जिसका समाधान नितांत आवश्यक है - प्रेरक पोस्ट के लिए बधाई

    ReplyDelete
  2. na jaane kitne gaanvon ki kahani yahi hai
    bahut sarthak post
    aabhaar



    'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
    हर रविवार प्रातः 10 बजे

    ReplyDelete
  3. भाई राजपूत,
    विचार ही क्रांति का जनक है, परिवर्तन जरूर होगा.

    ReplyDelete
  4. हर गाँव की कहानी बन गई है ये. स्वागत.

    ReplyDelete
  5. लेखन अपने आप में ऐतिहासिक रचनात्मक कायर् है। आशा है कि आप इसे लगातार आगे बढाने को समपिर्त रहें। शानदार पेशकश।

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक)एवं
    राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    0141-2222225 (सायं 7 सम 8 बजे)
    098285-02666

    ReplyDelete
  6. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  7. App sabhi ka bahut dhnywad . AAsa hai aap aise hi hosla afjai karte rehenge.

    ReplyDelete
  8. हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

    ReplyDelete
  9. Its really wonderful post. After reading this post everyone can guess about our village. Please also mention about the current generation of our village who are completely disorder on the way of future due to wine and other bad habits and suggest them some useful suggestions in this regard.

    ReplyDelete
  10. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने, आशा ह की आगे भी ऐसे ही लेखो से प्रेरित करते रहेंगे

    ReplyDelete
  11. कमोवेश गाँव में यही हाल देखने को मिलते है फिर भी मुझे भी गाँव बेहद पसंद हैं....
    गाँव के भीनी खुसबू बिखेरने के लिए आभार!

    ReplyDelete
  12. हमारे गाँव की कहानी भी कमोवेश आपके गाँव जैसी है .आज भी छुवाछुत और जाति पांति से ज्यादा नहीं उठे है... गाँव की क्या बात करें शहर में भी बहुत जगह यही हाल है.... शायद मानसिक विकार है यह जो बहुत मुश्किल से जाएगा ......लेकिन सुधार होगा लेकिन धीरे धीरे, ऐसा मेरा सोचना है ... सभी जानते हैं की सुधार एक जटिल प्रक्रिया है और बिगाड़ की मत पूछो..
    ..हम अपने स्तर से कुछ न कुछ अच्छा करते रहें मेरी सदइच्छा हमेशा यही रहती है ...
    आपका लगाव आपके गाँव से बना रहे और आप अपना योगदान देते रहे इन्हीं शुभकामनाओं सहित ..सादर

    ReplyDelete
  13. bahut hi badhiya hukum please hamare blog ko bhi folow kare surendarbhatihistory.blogspot.com

    ReplyDelete

शादी-विवाह और मैरिज ।

आज से पचास-पचपन साल पहले शादी-ब्याह की परम्परा कुछ अनूठी हुआ करती थी । बच्चे-बच्चियाँ साथ-साथ खेलते-कूदते कब शादी लायक हो जाते थे , कुछ पता ...